रात ढलने लगी है
वक्त हो चला है
एक दर्द से मिलने का
तन्हाईयां पास आने लगी
देखो रात ढलने लगी है।।
मेरी पलकें भीग जाने लगी है
फिर तुम्हारी याद आने लगी है
यादों का पहरा घेरा है हमें
याद जाती नहीं है दर्द होने लगा है।।
मैं तेरी यादों में खोया रहा
हर पल एहसास होने लगा है
सारी रात तारे गिन कर सोने लगे हैं
हर सितारे में तुम नजर आने लगे हैं।।
हम बिछड़ कर दूर होते गए हैं
और दिल पास पास आने लगे हैं
बताओ मेरे जीवन के ये हाल हैं
तेरे जीवन के क्या हाल हैं
मैं भी रोने लगा हूँ
क्या तुम भी रोने लगे हैं।।
वक्त हो चला है
इक दर्द से मिलने का
तन्हाईयां पास आने लगी
देखो रात ढलने लगी है।।
@कुलदीप राणा आजाद
सम्पादक : केदारखण्ड एक्सप्रेस
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