स्थाई मानदेय को लेकर आंदोलन की राह पर आशा कार्यकत्रियां, भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले बन रही रणनीति
डेस्क : केदारखण्ड एक्सप्रेस न्यूज़
रुद्रप्रयाग। गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मा संभाले आशा कार्यकत्रियां ने अब आन्दोलन की रुप रेखा बना ली है। स्थाई मानदेय को लेकर आशाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
स्थाई नियुक्ति के साथ-साथ स्थाई मानदेय की मांग कर रही आशा कार्यकर्ताओं ने भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली है। रुद्रप्रयाग जनपद के तीनों विकासखंडों के प्रत्येक गांव में जच्चा बच्चा की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य से लेकर टीकाकरण, पल्स पोलियो जैसे स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कार्यों को संभाले आशा कार्यकत्रियां सरकार से पिछले लम्बे समय से खासे नाखुश नजर आ रही है। कारण है सरकार द्वारा उन्हें केवल गर्भवती महिला की डिलीवरी होने पर ही मात्र 6 सौ रुपये दिए जाते हैं। जबकि सरकार के तमाम टीकाकरण की योजनाओं से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्य नि:शुल्क इन आशा कार्यकत्रियों से करवाए जाते हैं। ऐसे में लंबे समय से आशा कार्यकत्रियां मांग कर रही हैं कि उन्हें स्थाई मानदेय दिया जाए।
दरअसल प्रदेश भर में वर्ष 2005 से आशा कार्यकत्रियों गांव में गर्भवती और धात्री महिलाओं की देखभाल के साथ-साथ बच्चे के जन्म और उसके बाद तमाम टीकाकरण की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं जबकि पिछले वर्ष कोरोना काल से लेकर अब तक वह तमाम कोविड-19 की गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रही है बावजूद सरकारों द्वारा उन्हें कोई मानदेय ही नहीं दिया जा रहा है। लंबे समय से स्थाई मानदेय की मांग कर रहे आशा कार्यकत्रियों की सरकारें अनसुनी कर रही हैं। ऐसे में अब आशाओं ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है।
इससे पूर्व रुद्रप्रयाग में मजदूर मोर्चा के बैनर तले एक दिवसीय धरना देने के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंप चुके हैं और शीघ्र मांगे पूरी न हुई तो आने वाले दिनो में एक बड़े आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। आशा कार्यकत्रियों का कहना है कोविड-19 में जब पूरी दुनिया कमरों के अंदर बंद थी तो वह अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा को लेकर अपनी जान को जोखिम में डालकर उनकी सेवा में लगी थी जबकि सरकार के अन्य कहीं तरह के स्वास्थ्य अभियानों में नि:शुल्क कार्य करती हैं। ऐसे में आखिर बिना मानदेय के घर का सारा काम काज छोड़कर सरकारी योजनाओं में लगी इन आशा कार्यकर्ताओं का घर कैसे चलेगा यह पीड़ा आंदोलन के रूप में बाहर आने लगी है। आने वाले दिनों में अगर इनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो आशा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा और उग्र आंदोलन देखने को मिल सकता है।
इस मौके पर भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष जगदंबा बेंजवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव विश्नोई, संरक्षक महंत भैरव गिरी महाराज, आशा कार्यकर्ती प्रदेश महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा, गंगा गुप्ता, रामकृष्ण खंडूरी, डॉक्टर अनिल नौटियाल, कृष्णानंद नौटियाल, जिला अध्यक्ष आशा संगठन कमला राणा, जिला मंत्री मजदूर संघ बुद्धि बल्लभ थपलियाल, राजेंद्र सिंह रावत, नरेश बिश्नोई कविता, गीता देवी, उखीमठ अंजू देवी, लक्ष्मी देवी, शीला भट्ट, सुशीला पटवाल, दीना देवी, ललिता, सीमा, रेखा देवकी देवी, शिव देवी, सुनीता देवी, उर्मिला नेगी कमला नेगी, नीता देवी, सिता सेमवाल, संगीता देवी, सोना देवी, अनीता देवी, संजू देवी, पार्वती देवी, सरोज देवी, रंजना देवी, शांति देवी, आशा देवी, दीपा देवी, सावित्री देवी, रामा देवी, लक्ष्मी देवी, बबीता भट्ट, कविता देवी, सरिता देवी, आदि उपस्थित थे।
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