सिरवाडी के आपदा प्रभावितों की नहीं ले रहा प्रशासन सुध, अपने हाल पर जी रहे प्रभावित
सुनील सेमवाल/केदारखण्ड एक्सप्रेस
जखोली। पिछले वर्ष 9 अगस्त 2020 को जखोली ब्लॉक के बांगर पट्टी में स्थित सिरवाडी गांव में बादल फटने के कारण व्यापक रुप से तबाही मची थी, बड़े पैमाने पर ग्रामीणों के आवासीय भवन, मवेशियां इस आपदा की भेंट चढ़ी थी। जबकि व्यापक रूप से ग्रामीणों की सिंचित खेती आपदा के कारण नष्ट-भ्रष्ट हो गई थी। पैदल रास्ते, विद्युत लाइनें और संचार माध्यम पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे हालाकि उस दौरान अपनी सस्ती राजनीति चमकाने के लिए जहां नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने गांव के दौरे कर अपनी सस्ती लोकप्रियता हासिल की वही दोबारा किसी भी नेता ने इन ग्रामीणों की तरफ पलट कर नहीं देखा।
तत्कालीन जिलाधिकारी वंदना सिंह ने भी गांव पहुंचकर आपदा ग्रस्त क्षेत्र का मौका मुआयना किया और उन्हें तत्काल विस्थापन करने के लिए शासन को रिपोर्ट सौंपने की बात कही थी लेकिन वो बात आई-गई हो गई। अलबत्ता ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। बीते 6 माह से दोबारा न तो कोई प्रशासन का नुमाइंदा इन ग्रामीणों के हाल-चाल जानने के लिए गांव पहुंचा और ना ही कोई राजनेता। आपदा प्रभावित लोगों द्वारा स्वयं ही अपने घरो का मालवा साफ कर कुछ घरों को रहने लायक बनाया गया लेकिन वह भी इतने जीर्ण-शीर्ण और खस्ताहाल हो रखे हैं कि कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। जबकि कहीं आपदा प्रभावित लोग आज भी दिन रात गुजारने को विवश है। गांव के संपर्क मार्गो को जोड़ने वाले जितनी पुलिया थी सारी आपदा के सैलाब में टूट गई थी जो अभी तक नही बनी, वहीं विद्यालय मार्ग भी पूरा प्रभावित हो रखा है।
ग्राम प्रधान नरेन्द्र सिंह रौथान का कहना है कि इस बावत जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक को मिल चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। उनका कहना है कि इससे पूर्व भी 17 जुलाई 1986 में यहां बादल फटा था जिसमें कई लोगो की जान गई थी गांव वाले तब से लेकर विस्थापन की मांग कर रहे हैं वहीं गांव की भूगर्भीय जांच तो हुई पर उसकी भी अभी तक रिपोर्ट नहीं आ पाई है। ग्रामीणों का कहना है पहले ही बड़ी बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की खेती इस आपदा की भेंट चढ़ गई है लेकिन जो बच्चे खेत हैं उनमें सिंचाई करने के लिए नहर की आवश्यकता है मगर नहर भी आपदा की भेंट चढ़ गई है जिस कारण हुए खेत भी बंजर हो गए हैं। यूकेडी के नेता मोहित डिमरी ने कहा सिरवाडी गांव में आपदा आई 6 माह हो गए हैं लेकिन उत्तराखंड की गूंगी बहरी सरकार प्रभावित ग्रामीणों की सुध लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को तुरंत विस्थापित किया जाना चाहिए और उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध किए जाने चाहिए।