रुद्रप्रयाग में बाहर से आने वाले अधिकारी-कर्मचारी के लिए नहीं है क्वॉरेंटाइन का नियम, कोरोना संक्रमण फैलाने में लगे हुए हैं अधिकारी
पिछ्ले दिनो लोक निर्माण विभाग का एक जेई ने कोरोना फैलाया था वही अब विकास भवन में एक अधिकारी देहरादून से रूद्रप्रयाग पहुचा, हालाकि उन्होनें यहाँ कोरोना टेस्ट तो करवाया लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही वे आफिस मे ना केवल बैठे बल्कि लोगों के सम्पर्क में भी आये। सूत्रों की माने उन्होनें विकास भवन की कंटीन में खाना भी खाया।
जबकि यह अकेले अधिकारी नही हैं बल्कि इन रक्षाबंधन त्योहार के लिए छुट्टी गए बाहरी जिलों और प्रदेश से दर्जनों अधिकारी बिना टेस्ट करवाये रुद्रप्रयाग आये और अपने कार्यालयों में बैठ गये हैं। एसे में जिन अधिकारियों के भरोसे जनपद कोरना मुक्त होने का दावा कर रहा है वही अधिकारी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं।
हालांकि जिला अधिकारी (DM), मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी CMO द्वारा इसमें साफ तौर पर आदेश दिए गए हैं कि जो भी अधिकारी बाहर से आता है वह अपना टेस्ट अवश्य करा लें और जब तक टेस्ट रिपोर्ट नहीं आती है तब तक वे अपने कार्यालयों में न बैठे। लेकिन यहां अधिकारी बिना टेस्ट करवा ही अपने कार्यालयों में बैठ रहे हैं। जिन्होंने टेस्ट करवाया भी है वह रिपोर्ट आने से पहले ही कार्यालयों में न केवल बैठते हैं बल्कि लोगों के संपर्क में भी आ रहे हैं ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है जनपद में बढ़ते कोरोनावायरस के लिए सरकारी कर्मचारी अधिकारी ही जिम्मेदार है।
अधिकारी कर्मचारियों के इस गैर जिम्मेदाराना रवैया के लिए ना तो जिलाधिकारी गंभीर नजर आ रही हैं और ना ही स्वास्थ्य विभाग। जबकि आम जनमानस अगर मास्क नहीं पहनता है तो उप जिला अधिकारी से लेकर स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे के तमाम कारिंदे आम जनमानस का चालान काटने में नहीं चूकते हैं। लेकिन जब बात सिस्टम में बैठे अधिकारी कर्मचारियों की आती है तो सारे नियम कायदे फेल हो जाते हैं और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को छोड़ दिया जाता है। जिस तरह से पहले एक पटवारी ने अपने क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैल आया था वही पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग के एक अभियंता ने लापरवाही बरती और फिर अब विकास भवन से लेकर तमाम दर्जनों अधिकारी कर्मचारियों द्वारा बिना टेस्ट किए बाहर से आकर कार्यालयों में बैठ जाने और लोगों के संपर्क में आने से कोरोना संक्रामक फैलाया जा रहा है। ऐसे में लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कोविड-19 की धाराओ में सम्बंधित के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया जाना चाहिए ताकि यह लापरवाह अधिकारी लोक जीवन के साथ इस तरह से खिलवाड़ न कर सके। अब देखना होगा उच्चाधिकारी इस बात का संज्ञान लेते हैं या फिर यह तमाम नियम कायदे केवल जनता पर ही धौंस दिखाने के लिए बने हैं।