बह गया सरकार की नाकामियों का अस्थाई पुल, देश-दुनिया से कटा ग्रामीणों का संपर्क
नवीन चंदोला/ केदारखंड एक्सप्रेस
थराली। उत्तराखण्ड में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों ने राज किया है। लेकिन पहाड़ की भोली भाली जनता अपना कीमती वोट इस आस पर इन राजनेताओं को देती है, कि शायद ये इन पहाड़ो के मसीहा बने और पहाड़ो का विकास हो सके मगर सवाल आज भी यही है कि क्या वाकई पहाड़ो में विकास हुआ। 2013 की विनाशकारी आपदा में बहे झूला पुल का 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण नहीं हुआ है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां की सरकारें लोकजीवन और पहाड़ के विकास के लिए कितना संजीदा है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली विकासखण्ड के सोल घाटी में ढाडरबगड़ का ये नजारा तो पहाड़ के विकास की पोल खोलता है। दरअसल वर्ष 2013 की आपदा में थराली के सोल क्षेत्र में कई गांवों का एक मात्र संपर्क पुल ढाडरबगड का पुल भी बह गया था, तब से अब तक सात साल बीत गए, लेकिन पुल की आस लिए रणकोट, गुमड ,घुंघुटी सहित कई गांव के ग्रामीणो की एक अदद पुल की दरकार अभी भी पूरी न हो सकी। हर बरसात में यहां के लोग जान हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं, बरसात आती है और नदी का जलस्तर बढ़ जाता है जिस कारण यहां बना लकड़ी का अस्थाई पुल भी बह जाता है। बरसात खत्म होने के पश्चात् ग्रामीणों द्वारा पुन: श्रमदान से लकड़ी के पुल का निर्माण किया जाता है। बस कुछ ऐसी ही गति से हो रहा है सोल का विकास।
सूबे में डबल इंजन की सरकार है. सरकारों को बनाने में सोल के 16 गांवो की भी बराबर की ही भागीदारी रहती है। इसी भागीदारी को देखते हुए लोकसभा चुनाव हो, चाहे विधानसभा चुनाव. हर चुनाव में ढाडरबगड़ से करीब आधा दर्जन गांवों को जोड़ने वाले पुल को बनाने का दावा करते हुए राजनीतिक दल यहां के ग्रामीणों से इनका वोट तो ले लेते हैं, लेकिन अगले पांच साल महज कोरें आश्वासन के औऱ कुछ भी नहीं होता. 2014 लोकसभा चुनाव,2017 विधानसभा चुनाव,2018 उप चुनाव सहित 2019 के लोकसभा चुनावों के चुनावी शिगूफे से अब ग्रामीण खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि पुल न सही, लेकिन बरसात में ग्रामीणों की आवाजाही को सुलभ और सुगम बनाने के लिए कम से कम एक ट्रॉली की व्यवस्था ही हो जाये.
ग्रामीणों की माने तो पुल की मांग को लेकर वे क्षेत्रीय विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कागजो की कार्यवाही अब तक भी धरातल पर नहीं उतर सकी. जिसके चलते उफनती नदी पर ग्रामीण जान हथेली पर रख आवागमन को मजबूर हैं . वहीं ग्रामीणों की इस समस्या का उत्तराखंड पहाड़ी पार्टी के विधानसभा अध्यक्ष विक्रम मेहर ने ठीकरा कांग्रेस बीजेपी पर फोड़ते हुए दोनो ही दलों पर थराली विधानसभा की उपेक्षा का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों ही दलों को जनता ने बारी बारी से सत्ता की चाभी तो सौंपी लेकिन दोनों ही दल महज आश्वासन के सिवाय विकास के नाम पर कुछ भी कर न पाए. जिसका उदाहरण है सोल क्षेत्र के ढाडरबगड़ में जान हथेली पर रखकर आवागमन करते ग्रामीण. जिन्हें पुल तो दूर बरसात में सरकार एक ट्रॉली की तक व्यवस्था न कर सकी.विक्रम मेहर ने कहा कि ग्रामीणों को जल्द पुल की सौगात नही दी गई, तो वे जनहित के लिए कार्यकर्ताओं संग धरने पर भी बैठेंगे।