जिसकी कोई पहुंँच नहीं वो कहांँ किसी को याद है
फिल्म जगत ही नहीं हर जगह यही विवाद है ।
हर क्षेत्र में फैला ये भाई भतीजावाद हैं।
जिसकी जितनी है पहुंँच वही आगे बढ़ रहा।
जिसकी कोई पहुंँच नहीं वो कहांँ किसी को याद है।
प्रतिभा की अब यहांँ होती नही सराहना।
भेद भाव से हर पल उसे मिल रहा उलाहना।
इतिहास गढ़ सकता है जो उसका नाम दबा दिया।
छोड़ रही है प्रतिभा तभी तो खुद को चाहना।
ये ईर्ष्यालु सर्प ही डस रहे समाज को।
भावी आशा को समाप्त कर ये कुचल रहे हैं आज को।
मनोस्थिति ऐसी है कि किससे हम विरोध करे।
सुनना था जिसने हमें वो दबा रहा आवाज को ।
देश बढ़ेगा तब आगे जब इस विषय पर मनन होगा ।
भेदभाव की इस नीति का मिलकर के दमन होगा
अनगिनत हीरे हैं यहांँ जिन्हें तराशने की जरूरत है ।
तब देखना विश्व में भारत नंबर वन होगा।
@सर्वाधिकार
सुनीता सेमवाल "ख्याति"
गुलबराय, रूद्रप्रयाग