-डेस्क : केदारखंड एक्सप्रेस न्यूज
रूद्रप्रयाग। आज पहाड़ी गाँवो से लोग शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के लिए लगातार पलायन कर रहे है, तो वही एक पूर्व सैनिक सम्पन्नता के बावजूद भी अपने गाँव की मिट्टी से जुड़कर न केवल प्रेरणास्रोत बने हैं, बल्कि लोगों को एक सन्देश भी दे रहे है कि पहाड़ो मे सब कुछ सम्भव है। बस जरूरत है तो मजबूत इच्छा शक्ति, ईमानदारी और मेहनत से कार्य करने की।
सेना से रिटार्यड होने के बाद जहाँ अधिकत्तर लोग गाँव छोड़कर बड़े शहरो मे मकाने बनाकर एश्योआराम की जिन्दगी बिताते हैं या फिर रिटायर होने के बाद सिक्योरिटी गार्ड आदि की नोकरी करने जा रहे है, वही एक फौजी ऐसे भी हैं जो गाँवो मे जाकर कुछ नया करने की ठान रखे है। हम बात रुद्रप्रयाग जिले के ग्राम पंचायत कोटी- मदोला के पूर्व सैनिक सत्यपाल सिह नेगी की कर रहे हैं जो खेतो मे हल चलना, साग- सब्जियां उगाना, हर मौसम मे अलग-अलग प्रयोगों से अपने परिवार को बाजारी मंहगाई से भी बचा रहे है। सत्यपाल नेगी न केवल बंजर जमीन को आबाद कर रहे हैं बल्कि सामाजिक चिन्तक व राजधानी गैरसैण आंदोलन में भी सक्रिय भागीदारी निभा चुके हैं। पहाड़ो मे बिखरी जोतो को चकबन्दी कराने के समर्थक में वे हमेशा हैं।
सत्यपाल नेगी का कहना है कि राज्य सरोकारों की नीतियां केवल राजनैतिक पहुँच वालो व उनके नजदीकीयो तक ही सीमित है। सबसे बड़ी कमी पंचायत प्रतिनिधि के कारण हुई है, क्योकि प्रतिनिधि गाँवो मे लोगों को सही जानकारी नही देना चाहते है ओर ना सहयोग करते है। जिस कारण गरीब कुछ करने से पहले ही हिम्मत हार रहे है। राज्य साकार शराब की जगह दुग्ध उत्पादन, बागवानी, खेती को आय के स्रोतों मे प्राथमिकता दे तो हमारे राज्य की जमीनी तस्वीर ही बदल सकती है । जिन खेतो को हमारे लोग बंजर छोड़कर गये हैं, आज कही संस्थाएं उनकी बंजर खेतो मे उत्पादन कर हमें ही बेच रहे हैं, यह गम्भीरता से सोचने का विषय है। हम चाहते है कि पहले पर्वतीय इलाको में चकबन्दी लागू करे सरकार और कृषि को रोजगार का प्रमुख आधार बनाये तभी यहाँ का पलायन भी रूकेगा।