दरिद्र राजनीति का धनवान नेता मोहित, खुद भूखा रहकर प्रवासियों के लिए जुटाता रहा मदद, संघर्ष जारी रहे, दो ताली इसके लिए भी हो जाए, दोस्तो
-गुणानंद जखमोला/केदारखंड एक्सप्रेस
देहरादून। रात लगभग दस बजे मेरे मोबाइल पर एक अननोन नंबर से काॅल आयी। आजकल ऐसे फोन आते ही रहते हैं, क्योंकि सब मुसीबत में हैं। हमारा भागीदारी अभियान चल रहा है तो लोग मदद मांगने, समस्या बताने या जानकारी देने का काम करते हैं। मैंने सहजता से पूछा कौन, उसने पता नहीं अपना क्या नाम बताया, वो रुद्रप्रयाग का युवा था। मैंने पूछा क्या समस्या है, वो कहने लगा, नहीं मैं ठीक हूं, मैं हिमाचल में था। मेरे साथ 18 लड़के और थे। हम सब उत्तराखंड पहुंच गये हैं। मुझे मेरे गांव के प्राइमरी स्कूल में क्वारंटीन किया गया है। मैं बहुत खुश हूं। और मुझे यहां लाने में मोहित डिमरी का बड़ा हाथ है। वो बहुत अच्छे हैं। मैंने कहा कि मुझे पता हे बता क्यों रहा है, कहने लगा कि आप कुछ लिख दो मोहित भाई पर।
मोहित डिमरी आज की दुनिया के हिसाब से एक बेकार, निकम्मा और असफल युवा है। जिस उम्र में युवा दो-चार गर्ल फ्रेंड का दिल तोड़ कर शादी कर बीबी के गुलाम बन जाते हैं और पूरा ध्यान कमाई पर लगाते हैं। ये मोहित फटी जेब और खाली पेट थाली बजा सरकार को जगाता है कि जागो सरकार, हमारे हजारों युवा मुश्किल में फंसे हैं, उन्हें वापस लाओ। वो गांव के खेत में, सड़क के किनारे और बाजार के बीच में चिल्लाता है कि युवाओं की सुध लो सरकार। हमारे अपने हैं, कोई पराये नहीं। अपना दर्द सबको होता है, लेकिन दूसरे के दर्द का एहसास किसको होता है? मोहित को मैंने देखा है, कोई बीमार है, कोई जरूरतमंद है तो वो निस्वार्थ भाव से उसकी मदद में जुट जाता है। ऐसे दर्जनों केस हैं। लाॅकडाउन के दौरान तो मोहित डिमरी और उसके जन अधिकार मंच ने हजारों प्रवासियों की न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि उनकी मदद भी करवाई। चाहे वो फरीदाबाद की महिला और उसके तीन बच्चे हों, या अहमदाबाद के नवरंगपुरा के एक कमरे में फंसे डेढ़ दर्जन युवा। या मुंबई के प्रवासी। मोहित हर जगह, हर संभव सहायता के लिए तत्पर।
विडम्बना यह है कि हमारा समाज बहुत दरिद्र है, यहां काम करने वाली कद्र नहीं है। मोहित डिमरी जैसे जो अच्छे लोग हैं यही समाज उनको धनवानों के आगे नकार देता है। शायद यही कारण है कि कुछ मजदूर रेलवे पटरी पर कट जाते हैं तो कुछ मजदूर बस से कुचल दिये जाते हैं, क्योंकि जो धनवान हैं, वो इस दरिद्र जनता को चांदी के चंद टुकड़ों से खरीद लेते हैं। राजनीति के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नेता और तथाकथित समाजसेवियों को बिकने वाली जनता के बीच मोहित डिमरी जैसे युवा हमारे समाज की उम्मीद की किरण तो हैं। ऐसी किरण जो राजनीति के घनघोर अंधियारी रात और काले बादलों के बीच बिजली से चमकती हो। लगे रहो दरिद्र राजनीति के धनवान मोहित। डटे रहो, जंग अभी जारी है मेरे दोस्त। देखना, वो सुबह कभी तो आएगी।