यहाँ मासूमों के जीवन से खेल रहा है शिक्षा विभाग, डर से नहीं बैठते कमरे में, भारी ठंड में भी बरामदे में पढने को मजबूर
उत्तराखण्ड के पहाड़ों में सरकारी विद्यालयों की बदहाली का आलम कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर सरकारें हर वर्ष शिक्षा के नाम पर भारी भरकम बजट खर्च कर रही हैं तो वही दूसरी ओर पहाड़ के कई विद्यालय आज भी जीर्ण-शीर्ण हादसों को न्यौता दे रहे हैं। रूद्रप्रयाग के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि का प्राथमिक विद्यालय भी बदहाली का रोना रो रहा है।
अगस्यमुनि ब्लाॅक का प्राथमिक विद्यालय कलना शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते हादसों को दावत दे रहा है। विद्यालय भवन कीदीवारों पर पड़ी मोटी-मोटी दरारें यहां अध्ययनरत नौनिहालों और अध्यापकों को हर समय डराती हैं, लेकिन शिक्षा विभाग को बार-बार भवन की मरमत को लेकर अनुरोध करने के बावजूद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में कब अनहोनी हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता है।यहां तैनात अध्यापिकाये हर वार्षिक रिपोर्ट में विद्यालय भवन की खस्ता हालत की जानकारी देती हैं लेकिन जिम्मेदार भी फोटोग्राफी अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर देते हैं। उधर क्षेत्र पंचायत सदस्य ईश्वर राणा का कहना है कि विद्यालय की स्थिति को लेकर जिलाधिकारी समेत मंत्री विद्यायक तक को अवगत कराया जा चुका हैलेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं की जा रही है। भारी ठंड में नौनिहाल कमरों की बजाय बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं, आखिर कमरों में पढे भी तो कैसे, मोटी मोटी दिवारें देखकर रूह कांप जाती है लेकिन हमारी सरकारें, राजनेता, निति-निर्धारकों और योजनाकारों को पहाड़ के इन नौनिहालों की जरा भी फिक्र नहीं है। यह पहली तस्वीर नहीं है बल्कि पहाड़ के अधिकतर विद्यालयों की स्थिति इसी तरह से बदहाल है।
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कुछ इस तरह से पडी हैं दिवारों पर दरारें... |