प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए ग्रामीणों को बनाया जा रहा दक्ष
रुद्रप्रयाग। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जनपद के विभिन्न न्याय पंचायतों में आपदा राहत-बचाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान आपदा के दौरान और उसके बाद की कार्यवाही के साथ ही जुमारिंग, रेपलिंग, कैरोलिन ट्रैवर्स, गांठे-फंदे बनाना आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि किसी भी तरह की घटना होने पर स्थानीय प्रशिक्षक राहत-बचाव का कर्य कर सके।
जिले की न्याय पंचायत फाटा और सुमेरपुर में प्रशिक्षण के बाद इन दिनों न्याय पंचायत काण्डई में राहत-बचाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक आपदा प्रबंधन विभाग 75 लोगों को प्रशिक्षित कर चुका है।
मुख्य प्रशिक्षक अनिल सकलानी ने बताया कि प्रशिक्षण प्रत्येक न्याय पंचायत में 25 लोगों को दिया जा रहा है। जिसमें ग्राम स्तर पर आशा कार्यकत्री, ग्राम प्रहरी, एसएसबी स्वयंसेवक को प्राथमिकता से लिया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षण की उपयोगिता बताते हुये कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक दृष्टि को देखते हुये स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना लाभकारी साबित होगा। यहां समय-समय पर भूकंप, भूस्खलन, वनाग्नि जैसी आपदाएं आती रहती हैं।
आपदा प्रबंधन के लिये उत्तम एवं प्रभावी तंत्र आपदा राहत बचाव दलों का है, जिनका योगदान आपदा प्रबंधन के विभिन्न चरणों में जैसे आपदा से पूर्व, आपदा के समय एवं आपदा की गतिविधियों में लिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता का अपना एक महत्व है। आपदा राहत प्रबंधन कार्य क्षति न्यून करने का अति महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों में प्रशिक्षण को लेकर उत्साह बना हुआ है। प्रशिक्षक सीमा परमार ने बताया कि हरेक गांव से दो लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें आपदा राहत-बचाव के साथ ही फस्ट-एड का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।