शीतकाल के लिए बंद हो गए तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट
-भूपेन्द्र भण्डारी/केदारखण्ड एक्सप्रेस
रूद्रप्रयाग। विश्व की सबसे ऊचाई पर स्थिति पंच केदारों में तृतीय केदार भगवान तंुगनाथ के कपाट आज विधि विधान और मंत्रोचार के साथ बंद कर दिए गए हैं। इससे पहले भगवान तुंगनाथ के स्वयं भू लिंग की विशेष पूजा अर्चना की गई, चल विग्रह उत्सव डोली ने भगवान तुंगनाथ मंदिर की परिक्रमा के बाद साढ़े ग्यारह बजे लग्नानुसार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के छः माह के लिए बंद कर दिए गए हैं। आज भगवान तुंगनाथ की उत्सव डोली अपने पहले पड़ाव चोपता में रात्रि प्रवास करेंगी। और कल यहां से प्रस्थान कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पूजा अर्चना के बाद भगवान की उत्सव प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित कर दिया जायेगा। अगले छः माह भगवान तुंगनाथ की पूजा अर्चना यही की जायेगी।
इस वर्ष 16 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने भगवान तुगनाथ के दर्शन किये जो अपने आप में बहुत ही छोटा आंकड़ा। तीर्थ यात्रियों की कम संख्या से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस मंदिर की कितनी उपेक्षा शासन-प्रशासन द्वारा की जा रही है। आलम यह है कि पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुगनाथ भगवान के धाम में बिजली जैसी आधारी भूत सुविधायें मुहैया नहीं हो पाई है। जबकि पूरे रास्ते भर में सुलभ शौचालय, मेडिकल की भी सुविधायें नहीं हैं। ऐसे में कैसे यहां तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ेगी यह सहज ही समझा जा सकता है। जबकि तुंगनाथ धाम न केवल धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात है बल्कि प्राकृतिक सुन्दरता से भी भरपूर है जिस कारण शीतकाल में भी यहां पर्यटकों की आवोभगत रहती है। बावजूद सरकारें इस धाम की लगातार उपेक्षा करती आ रही है।