जनपक्ष के पत्रकार को जेल...सच सुनने से डरने लगे है उत्तराखण्ड के नेता...
उत्तराखंड के निर्भिक पोर्टल व पत्रिका पर्वतजन के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी के बाद ये साबित हो गया है कि इस प्रदेश में सच लिखने वालों के सामने कितनी दिक्कतें हैं । कैसे सच लिखने वालों को परेशान किया जाता है ??
ताकि बेख़ौफ़ रूप से सच लिखने वालों को पुलिस , कोर्ट , कचहरी का डर दिखाकर उनको लिखने से रोका जाए । पुलिस ,कोर्ट ,कचहरी से भला सम्पादक शिव सेमवाल कभी डरे हैं ,जो अब डरेंगे । पर मूल समस्या है कि इससे समय व धन अनावश्यक रूप से खर्च होता है , भृष्ट लोग चाहते हैं कि ऐसे सच लिखने वाले पत्रकारों को कोर्ट कचहरी में व्यस्त रखा जाय ।
2007 से शिव प्रसाद सेमवाल जी से मेरा परिचय है । पर्वतजन के तब भी ऐसे ही तेवर जैसे कि आज ।। बहुत ही साधारण सा जीवन जीने वाले सेमवाल जी ने प्रदेश के अंदर निर्भीक पत्रकारिता की एक नींव रखी है । उन्होंने पत्रकारिता को एक जनून के तौर पर जिंदा रखा है ।
उनकी ये गिरफ्तारी भी एक सफेदपोश के द्वारा युवाओ को नौकरी के नाम पर ठगने का खुलासा करने के मामले में हुई है !!!
खबर का लिंक --https://parvatjan.com/so-called-rajyamantri-congress-police/
पर अब उसके द्वारा सेमवाल पर रंगदारी का आरोप लगाया गया है ।
भाई सेमवाल जी को भृष्टचारी लोग जितना परेशान करेंगे वो उतने ही दुगनी ऊर्जा व जुनून से इनके कई खुलासे करके उनको ठोकते रहेंगे ।
शिव भाई अपनी निर्भीक पत्रकारिता से यूँ ही भृष्टचारीयो को ठोकते रहिए , हम सब आपके साथ हैं ।