जीतू बगडवाळ नृत्य कर रहा ग्रामीणों को भावुक : अपनी जड़ों से जोडे रखने में अहम भूमिका
पोखरी। इन दिनों पहाड़ के गाँव विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के चलते भक्तिमय बने हुए हैं। वैसे तो यहां वर्ष भर इस प्रकार के कार्यक्रम होते हैं लेकिन पांडव और बगडवाळ नृत्य इस लिए खास हैं कि ये धार्मिक अनुष्ठान धियाणियों और प्रवासियों को अपने घर गाँव वापस बुलाने पर मजबूर कर देते हैं, इसी प्रकार के आयोजन आज भी अपनी जड़ों से जोडे रखने में अहम भूमिका निभाती है।
इसी तरह का मनोरम नजारा इन दिनों विकासखंड पोखरी के श्रीगढ़ गांव में देखने को मिल रही है। 8 नवम्बर से आरम्भ हुए जीतू बगड़वाल का नृत्य को देखने प्रवासी और धियाणिया़ भी बढ चढ कर आए हुए हैं।
यह धार्मिक अनुष्ठान भब्य तरीके से और पौराणिक मान्यता के अनुरुप हो रहा है। आजकल गांव मैं चहल पहल बनी हुई है । प्रत्येक वर्ष गांव मैं इस प्रकार से कार्यक्रम होते हैं जिसके चलते प्रवासी लोगो और अन्य लोग पहाड़ आने के लिए उत्साहित होते हैंयह नृत्य कार्यक्रम 17 नवम्बर को समापन होगा।
दरअसल श्रीगढ में यह परम्परा प्राचीन समय से ही चली आ रही है।और प्रत्येक 4 वर्षो में जीतू बगडवाळ नृत्य का आयोजन किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य विश्व कल्याण, गांव में भाई चारा और एकता अखंडता को मजबूत करना हैं। इसमें जीतू बगड़वाल के पश्वा
के रूप में गिरीश बर्त्वाल। एड़ी आछरी अनूप बर्त्वाल, अवतार सिंह बर्त्वाल,, जीतू बगड़वाल की स्याली सोबनी वीरपाल सिंह। स्याली भरणा सूरज सिंह। शेषनाग के अवतार मैं भूपेन्द्र सिंह पर अवतरण हो रहा है।
ग्राम सभा श्रीगढ़ के बुजुर्ग व्यक्ति राजकिशोर बर्त्वाल का कहना है कि गांव की सुख शांति और समृद्धि के लिए ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है, ग्रामीण संदीप बर्त्वाल ने कहा आजकल गांव में पूरे क्षेत्र के लोग, प्रवासी, धियाणिया आयई हुई हैं। देवताओं के प्रति इनकी अटूट श्रद्धा है। यह कार्य समस्त ग्राम वासियों द्वारा किया गया है