स्वच्छ भारत की ये ग्राउंड जीरो रिपोर्ट- कागजों में कैसे बन गया शौच मुक्त गाँव
-नवल खाली
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चमोली। जनपद के पोखरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत खाल में स्वच्छ भारत के इस बोर्ड को देखकर बड़ी खुशी हुई , गाड़ी से आते जाते इस बोर्ड को देखकर लगा कि वास्तव में हमारे प्रदेश के वो गाँव भी खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं जहाँ की बेटियाँ ,ब्वारियाँ कभी घुप्प अंधेरे में शौच जाने को मजबूर थी। गुलदार व सुंवरो के खौप के साये में शौच जाना कितना चैलेंजिंग था ,ये वो हर इंशान महसूस कर सकता है जिसने पहाड़ों में जीवन जिया है।
उस दौर में यदि किसी के खेतों में शौच चले गए तो ,सुबह सुबह पड़ने वाली गालियाँ लोगो को अलग से सुननी पड़ती थी । इस बोर्ड को देखकर लगा कि वास्तव में सरकारें काम तो कर ही रही हैं। अचानक सुबह सुबह जब मॉर्निंग वॉक पर गया तो देखा गाँव के ही एक व्यक्ति बोतल लिए शौच जा रहे थे। आज के स्वच्छ भारत मे ये दृश्य किसी अजूबे से कम न था।
दरअसल मेरी आदत है कि मैं किसी भी चीज को एक ही दृष्टि से नही देखता ,उसको अलग अलग एंगल से देखने का प्रयास करता हूँ !!
मैंने सोचा ,हो सकता है इनको शौचालय में घुटन होती हो ,और उन्मुक्त रूप से इनका उदर स्वच्छ न होता हो ??
कहीं ऐसा तो नही कि ये ऐसा सोचते हों कि - शौच का मजा तो स्वच्छ वातावरण में ही है ??
कहीं ये कंजूस तो नही हैं जो ऐसा सोचते हों कि पिट जल्दी भर जाएगा इसलिए कभी कभार पिट भरने के ख्याल भर से खुले में शौच जाते हों ??
मेरे मन मे कई ख्याल आते रहे और जाते रहे !!
तभी इनका पुत्र भी शौच से वापस आता दिखा !!
अब मेरी सोच बदल गयी थी कि वास्तव में इनके पास शौचालय नहीं है। जब गाँव मे मैंने शौचालय की जानकारी ली तो पता चला कि 12 परिवार ऐसे हैं जिन बेचारों का शौचालय नहीं बन पाया है !
आखिर ये झूठा बोर्ड किसके द्वारा यहाँ खड़ा किया गया है ??
झूठ की बानगी देखिये कि इस खाल गाँव को खुले में शौच मुक्त बताया गया है !!
आखिर इनका शौचालय कौन खा गया है ??
इन परिवारों की बहुएं ,बेटियाँ ,बच्चे ,बड़े सभी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं , अगर इनके पास स्वयं ही इतना पैसा होता कि ये शौचालय बना सकें तो ये कबके बना चुके होते !!
स्वच्छ भारत के अंतर्गत अरबों खरबों रुपये खर्च किये गए पर ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट आपके सामने है !! ऐसे ही उत्तराखंड में न जाने कितने गाँव होंगे जहाँ खानापूर्ति के लिए ये बोर्ड खड़े किए गए होंगे और इनके फोटोग्राफ खींचकर फाइलों में खानापूर्ति की गई होगी !!
जिन 12 परिवारों के पास शौचालय नहीं है , वो बेहद गरीब परिवार हैं ,बड़ी मुश्किल से अपनी रोजी रोटी का इंतजाम कर रहे हैं !!
इस संदर्भ में मैंने स्वयं डीएम चमोली स्वाति भदोरिया जी को मैसेज भी किया ,जिस पर उन्होंने मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया था !!
पर सवाल ये खड़ा होता है कि इन गरीबों की लैट्रिन का पैंसा कहाँ गया ??