-नीरज कण्डारी /केदारखण्ड एक्सप्रेस
पोखरी। जनपद चमोली का सबसे बडा 72 ग्राम सभाओं वाला नागनाथ पोखरी ब्लॉक सरकारों की घोर उपेक्षा का दंश झेल रहा है। क्षेत्र में आज भी मूलभूत सुविधाओ का भारी अभाव यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की दुश्वारियों का बढा रहा है।दरअसल पोखरी तहसील की स्थापना तब हुई थी जब उत्तराखण्ड राज्य उत्तरप्रदेश में हुआ करता था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने इस तहसील की घोषणा कर अमलीजामा पहनाया था किन्तु उसके बाद से यहां उपजिलाधिकारी की तैनाती--बोरी बिस्तर बाँध के, एस डीएम सुबह शाम के, जैसी स्थिति बनी रही। आलम यह है कि 2 साल बीत गए है पर इस तहसील में एस डी एम का पद रिक्त चल रहा है हालांकि यहां का चार्ज कर्णप्रयाग के एस डी एम के पास है जो कि सप्ताह में एक दिन यहां बैठते हैं ।
वही दूसरी ओर तहसीलदार का पद भी 1 साल से रिक्त पड़ा हुआ है। जिसके चलते आम जनमानस को अपने दस्तावेजो को तैयार करवाने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है
राजनीतिक पृष्ठभूमि भी पोखरी ब्लॉक की अव्वल रही हैं, यहां से कई नेता ऊभरे हैं जो कई बार सत्ता में मंत्री भी रहे लेकिन पोखरी की स्थिति में तब भी कोई बदलाव नहीं आया है।
वही दूसरी ओर बद्रीनाथ विधायक के गृह क्षेत्र होने के बावजूद भी विधायक महेंद्र भट्ट ने भी इस क्षेत्र के विकास के लिए चुपी साधी हुई हैं। ऐसे में नेताओं से तो इस क्षेत्र के विकास की उम्मीद करना वेवकूफी जैसी है। बहरहाल इस स्थिति को बदलने और क्षेत्र के विकास के लिए अब जनता को ही उठ खडा होना पडेगा।