आपदा के बाद देखा भी नहीं चाका के पीड़ितों की तरफ, 7 किमी पैदल जाने को मजबूर स्कूली बच्चे
![]() |
बादल फटने के बाद कुछ इस तरह है आपदा को जख्म |
अगस्त्यमुनि। पिछले माह 8 अगस्त की रात्रि को जखोली विकासखण्ड के चाका गाँव में बादल फटने के कारण भारी तबाही मची थी जिससे कई आवासीय मकानों का तो नामोनिशान ही मिट गया था साथ ही पैदल रास्ते, पुलिया, पेयजल-विद्युत लाईन,दूरसंचार और सिंचित खेती भी भारी मात्रा में तबाह हो गई थी। गांव के प्राथमिक विद्यालय और कई अन्य भवनों को भी आशिक रूपे क्षति पहुंची थी। आपदा के दिन जरूर जिला प्रशासन और नेताओं द्वारा गांवों का मुआयना कर मूलभूत सुविधाओं को जल्दी व्यवस्थित करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आपदा के बाद जिला प्रशासन ने इस आपदा पीड़ित गांव की तरफ दोबारा देखने की जहमत तक नहीं उठाई। स्थिति यह है कि गांव में पैदल रास्ते पुलिया समेत पेयजल जैसी मूलभूत सुविधायें विकसित नहीं हो सकी हैं जिस कारण लोगों को आज भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूली बच्चों को पैदल रास्ते और पुलिया न होने के कारण 7 किमी अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ रही है जिस कारण हर रोज उन्हें स्कूल जाने में देर हो जाती है। ऐसे में जहां वे अध्यापकों की डाॅट-फटकार खा रहे हैं वहीं उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक और जिलाधिकारी से आग्रह किया कि वे इस गांव में आकर यहां कि दयनीय स्थिति का मौका मुआयना करें और शीघ्र व्यवस्थाएं सुधारी जाय।
उधर गांव के बीचों बीच बादल फटने से कई मकानों को खतरा बना हुआ है। ग्रामीण जरा सी बारिश में सहम जाते हैं कि न जाने कब क्या हो जाय। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की कि बादल फटने के कारण गदेरे में मकानों की सुरक्षा के लिए दोनों तरफ सुरक्षा दीवाल दी जानी चाहिए।