स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लग रहा कोटेश्वर तीर्थ में
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अलकनंदा नदी में प्रवाहित किया जा रहा धडल्ले से कचरा |
-तरूण पंवार की फेसबुक वॉल से सभार
रूद्रप्रयाग। श्रावण माह का अंतिम सोमवार #कोटेश्वर_महादेव के दर्शन किए।। दर्शन करते समय नजर पड़ी शनि देव जी की मूर्ति पर जहां पर स्थानीय लोगों की हिमाकत देखने को मिली ।
रूद्रप्रयाग। श्रावण माह का अंतिम सोमवार #कोटेश्वर_महादेव के दर्शन किए।। दर्शन करते समय नजर पड़ी शनि देव जी की मूर्ति पर जहां पर स्थानीय लोगों की हिमाकत देखने को मिली ।
उस स्थान पर इतनी ज्यादा गंदगी मिली जो कि ज्यादातर आस - पास ग्रामीणों द्वारा की गयी ।
लोगो द्वारा पूजा के माध्यम से सरसों का तेल, अगरबत्तीयां प्रतिमा पर अर्पित की जाती हैं, लेकिन उसके चलते खाली बोतलों, और अगरबत्ती के पैकेट को उपर्युक्त तरीके से कूड़ेदान में डालने के बजाए नदी में फेंका जाता हैं इसे आस्था माने या फिर बेवकूफी जो कि प्रकृति को नुकसान दे रहीं हैं?
आस्था के चलते कुछ लोगों द्वारा रुपये भी जो कि किसी जरूरतमंद को देने के विपरीत नदी में फेके जा रहें थे जो कि पूरी तरह से अंधविश्वास है, इसके चलते लोग समय के साथ अपनी मानसिकता में बदलाव भी नहीं चाहते हैं उनके द्वारा कथित तौर पर यह लगता हैं कि यह रिवाज पारंपरिक हैं जिस पर की हमें तत्पर रहना चाहिए ।।
एक तरफ सरकार द्वारा अनेकों मुहिम स्वछता एवं प्रकृति संरक्षण अभियान पर चलाई जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ अनभिज्ञ लोगो द्वारा गंदगी फैलाई जा रही हैं ।। भगवान के प्रति आस्था रखना अच्छी बात है लेकिन श्रद्धालु भगवान से जुड़ी आस्था में इतना मंत्र मुग्ध हो गए कि वो यह सच में भूल गए कि वह प्रकृति को भी क्षति पहुंचा रहें हैं क्या ये पर्यावरण के साथ अत्याचार नहीं?
नोट:~ मंदिर परिसर एवं नगर पालिका को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि कूड़ा का निस्तारण व्यवस्थित तरीके से हो ना की कूड़ा (प्लास्टिक बोतल, अगरबत्ती के पैकेट एवं अन्य खाद्य सामग्रियों) को फेंक कर नदी को दूषित किया जाय।
मंदिर पर चढावे के नाम पर फलों एवं अन्य खाद्य सामग्री को किसी भूखे व्यक्ति या जानवर को दिया जाए ना कि मंदिर में बर्बाद होने को।